Raushan

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लेखनी कहानी -05-Mar-2022

माना कि ये हो नहीं सकता
कभी ख्वाबों मे मिलो ख्यालों की तरह

मेरे अनसुलझे से सवालों की तरह
जैसे मिलती है तितली फूलों की पंखुड़ियों से

जैसे मिलता है झरना बहती नदी से
जैसे मिलता है अंबर अपने क्षितिज से.

तुम भी ऐसे ही मुझसे मिलो ना

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3 Comments

Swati chourasia

05-Mar-2022 07:46 PM

Nice

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Inayat

05-Mar-2022 06:24 PM

Nice

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Dr. Arpita Agrawal

05-Mar-2022 05:09 PM

Nice

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